क्या असली फायदा चीन को होगा?
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात एक बार फिर चर्चा में हैं। खबर है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष को फोन कर सीजफायर की अपील की और दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई। हालांकि, ये सीजफायर कितने दिन चलेगा, इस पर अब भी संशय है। इस पूरे घटनाक्रम में एक अहम सवाल उठता है—अगर युद्ध होता है तो इसका फायदा किसे होगा?

भारत को नहीं, पाकिस्तान को भी नहीं… इस संभावित युद्ध से असली फायदा चीन को हो सकता है। और इसके पीछे हैं तीन बड़े कारण।
पहला कारण: भारत को भटकाने की रणनीति
ठीक वैसे ही जैसे फिल्म “3 इडियट्स” में चतुर अपने विरोधियों को मैगजीन से distract करता है ताकि खुद टॉप कर सके, चीन भी भारत को रणनीतिक रूप से distract करना चाहता है। चीन जानता है कि अगर भारत सीमा पर उलझा रहेगा, तो वह अपने आर्थिक और टेक्नोलॉजिकल फ्रंट्स पर फोकस नहीं कर पाएगा।
उदाहरण: चीन को डर है Apple की भारत में सफलता से
Apple ने भारत में iPhone असेंबली की शुरुआत की है। कर्नाटक में विस्टन और आंध्रप्रदेश में Foxconn की फैक्ट्रियां अब iPhone का निर्माण कर रही हैं। भारत से अब iPhone एक्सपोर्ट भी होने लगे हैं और 2024 में 1 लाख करोड़ रुपये के iPhone एक्सपोर्ट किए गए। अगर यह सफलता जारी रही, तो दूसरी कंपनियां भी चीन को छोड़कर भारत की ओर रुख करेंगी।
चीन यह नहीं चाहता।
दूसरा कारण: चीन नहीं चाहता भारत बने मैन्युफैक्चरिंग हब
चीन दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब है लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर और कोविड के बाद कंपनियां ‘चाइना प्लस वन’ स्ट्रेटेजी अपनाने लगी हैं। भारत इसमें एक बड़ा विकल्प बन रहा है।
Foxconn अब भारत में iPhone 15 असेंबल कर रहा है, जबकि पहले ऐसा केवल चीन में होता था। हालांकि अभी भी कुछ महत्वपूर्ण पुर्जे चीन से आते हैं, लेकिन भारत में 15-20% वैल्यू एडिशन शुरू हो चुका है। यही चीन की चिंता है।
इसलिए चीन अब भारत को तकनीकी उत्पादों की सप्लाई रोक कर परेशान करने की कोशिश कर रहा है—चाहे वह टनल बोरिंग मशीनें हों या हाईटेक इक्विपमेंट।
तीसरा कारण: पाकिस्तान के ज़रिए भारत को घेरने की साज़िश
भारत ने हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” लॉन्च कर 9 आतंकवादी कैंप नष्ट किए। इसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में भारी शेलिंग की और 300+ तुर्की ड्रोन्स भारत की सीमा की ओर भेजे। जवाब में भारतीय सेना ने कड़ा प्रतिकार किया।
लेकिन ध्यान देने वाली बात है: भारत आतंकवादियों को निशाना बना रहा है, जबकि पाकिस्तान आम नागरिक इलाकों पर हमला कर रहा है।
यहां भी चीन की भूमिका पर शक गहराता है। पाकिस्तान के 80% सैन्य संसाधन चीन से आते हैं। साथ ही चीन ने पाकिस्तान में CPEC प्रोजेक्ट्स और ग्वादर पोर्ट में भारी निवेश किया है। चीन नहीं चाहता कि भारत का दबदबा बढ़े, इसीलिए वह पाकिस्तान के ज़रिए भारत को उलझाए रखना चाहता है।

